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उस्दीन स्कुल से आने के बाद हीमानी चुपचाप बेठ गयी .पिछले कुछ दिनोसे एसे बेठ जाती है पूछने पर भी कुछ नहीं कहती .क्या करे सोच कर माँ सुलोचोना देवी और पिता सुशांत डॉक्टर के पास गए .हिमानी को टेस्ट करके डॉक्टर बोले घबरानेकी कोई बात नहीं वो एसे हालत से गुजर रही है की जिससे उसकी दिमाग पर असर पड रहा है जिसे मेडिकाल भाषा में डिप्रेसन कहते हैं .
और उसके बाद क्या करना है डॉक्टर अछी तराह से सम्झा दिए।
ये एक हिमानी की बात नहीं है एसे कितने हिमानी हैं जो डिप्रेसन के सिकार हैं .जिन बच्चो की किलकारी से घर खिल उठता था आज कल वो एक दम उदास हैं .बात बात पर चीड जाते हैं .और ये सिलसिला आगे बढकर खुदखुसी की बजा बनजाती है।
क्यूँ वो उदास हैं?
सबसे बड़ी बजा है अकेला पन .क्यूंकि जितना समय माता पिता को देना चाहिए वो नहीं दे पाते और घर में एसा कोई नहीं रहता जिसको अपने दिल की बात वो सेर करें।
प्रतियोगिता और माता पिता :
हर माता पिता का ख्याब होता है की उनके बचे बड़े हो कर बड़ा आदमी बने इसलिए हमेसा दबाब डालते रहतेहैं आर दुसरे बच्चे के साथ तुलना करते रहते हैं कभी अपने बचे की खुबियोका प्रसंसा नहीं करते ये बच्चो के दिमाग पर गहरा असर डालता है।
केसे करें टेंसन फ्री
हो सके तो बचोको जादा समय दें .उनके सोच की कद्र करें।
उनके मनको समझे और अगर उदास हैं तो किसी अछे जगा पर घुमाने ले जाएँ।
उनकी क़ाबलियत के अनुसार उनसे आसा करें
उनकी दिमाग में बेठा हुआ दर भगाएं
कुंकी नाजुक सी दिमाग में अगर तक्लिप छाजाये तो पूरा जिंदगी अँधेरे की तरफ चली जाती है
इस्लिए वक़्त रहते मातापिताको जिम्मेदारी लेनी चाहिए
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